नई दिल्ली- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आयकर विभाग के अधिकारियों से आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को भरपूर लाभ मिलेगा। नागपुर में राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (नेशनल एकेडेमी ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज -एनएडीटी) में भारतीय राजस्व सेवा के 76वें बैच के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से स्थानीय लोगों के लिए मुखर होने को कहा। उन्होंने उन्हें विस्तार से बताते हुए कहा कि आप व्यापारिक समुदाय से रूबरू होंगे। आप उनमें राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात कर सकते हैं, और इससे देश को तीन बड़े लाभ होंगे- पहला, परिहार्य आयात के कारण विदेशी मुद्रा बर्बाद नहीं होगी, दूसरा, हमारे युवाओं के लिए रोजगार पैदा होगा और तीसरा, देश में उद्यमिता एक बड़ी छलांग लगाएगी। विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उदय का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब यह एक अलग भारत है और हम आज वैश्विक विमर्श को परिभाषित कर रहे हैं। भारत के विकास पथ पर संदेह जताने वाले कुछ व्यक्तियों का जिक्र करते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि “बाहर और भीतर संदेह और आलोचना करने वाले लोग हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें मेरा संदेश है कि वे - आशा और संभावना के वातावरण का अनुभव करने के लिए अपने "बुलबुले" से बाहर निकलें। उपराष्ट्रपति महोदय ने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्तियों को उस बुलबुले से बाहर निकलने के बाद प्रबुद्ध किया जाएगा और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो यह नागरिकों का कर्तव्य है कि वे उनके "बुलबुले को फोड़ें"। श्री धनखड़ ने संस्थान से प्रशिक्षण पूरा कर सेवा में जाने वाले अधिकारियों को सलाह दी कि वे लोगों में यह भावना पैदा करने के लिए परामर्श और अनुनय का उपयोग करें कि "सफलता का निश्चित मार्ग कर अनुपालन और कानून का पालन करना है" जबकि इसमें शॉर्टकट एक दर्दनाक मार्ग की ओर ही ले जाएंगे। मौके पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) अध्यक्ष श्री नितिन गुप्ता, प्रधान महानिदेशक प्रशिक्षण श्री सीमांचल दास, राज्यसभा के महासचिव श्री पी.सी. मोदी, , आयकर महानिदेशक प्रशिक्षण श्री आनंद बायवार और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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