लोहरदगा : शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर लोहरदगा में विक्रम संवत 2081 के प्रारंभ होने के उपलक्ष्य में वर्ष प्रतिपदा उत्सव अत्यंत उल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर पूरे विद्यालय को आकर्षक रंगोली से सजाया गया। ध्वज पताका लगाकर विद्यालय को सुसज्जित किया गया। भैया बहनों ने प्रभात फेरी में कदम से कदम मिलाकर व्यवस्थित रूप से संचलन करते हुए भारत माता की जय, नव वर्ष मंगलमय हो का जय घोष करते हुए सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं। प्रभात फेरी के पश्चात सभागार में सभी भैया बहन एवं आचार्य जी, बहन जी समवेत होकर एकत्रित हुए। अतिथि परिचय वीणा तिवारी ने कराया। कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए विद्यालय के आचार्य विष्णु दत्त पांडेय ने कहा कि-" भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इस पर्व को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा कहा जाता है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए पंचांग की रचना की। इसी दिन विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर एक नए युग का सूत्रपात किया। इस अवसर पर नव वर्ष की शुभकामना देते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य बिपिन कुमार दास ने अपने संबोधन में कहा कि यदि भारत वासियों में अपने देश के प्रति गौरव बोध जगाना है तो हमें अपने भारतीय विक्रम संवत को अपनाना होगा। विदेशी तारीखों से गुलामी की मानसिकता पनपती है। इसे त्यागना होगा। प्रकृति में परिवर्तन, वसंतिक नवरात्र का प्रारंभ इसी दिन से होता है। यह संवत ही अत्यंत प्राकृतिक ,स्वाभाविक एवं काल गणना पर आधारित अत्यंत शुद्ध संवत्सर है। मौके पर विद्यालय की संगीत आचार्या सुप्रिया घोषाल के निर्देशन में बहन पल्लवी एवं सहेलियों तथा कशिश एवं सहेलियों ने आकर्षक गीत प्रस्तुत किया। भैया हर्ष सिंह ,द्विज कुमार एवं बहन सुहानी ने नव वर्ष के शुभ अवसर पर अपना भाषण प्रस्तुत किया। मंच संचालन विद्यालय के आचार्य दिनेश प्रसाद सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जया मिश्रा के द्वारा किया गया। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
No comments
Post a Comment